उत्तर : निर्माणदेव एक इंजीनियर था, जिसने बहुमंजिला इमारतें, बाँध और सुरंगें बनवाई थीं।
प्रश्न - 2. जीवनदेव कौन था?
उत्तर : जीवनदेव एक डॉक्टर था, जिसने अनेक रोगियों की जान बचाई थी।
प्रश्न - 3. कर्तव्यनिष्ठ का परिचय दीजिए।
उत्तर : कर्तव्यनिष्ठ एक पुलिस अधिकारी था, जो अपने कर्तव्य पालन पर गर्व करता था।
प्रश्न - 4. हितकारीलाल कौन था?
उत्तर : हितकारीलाल एक नेता था, जो अपने राजनीतिक कार्यों को अपनी उपलब्धि मानता था।
प्रश्न - 5. निष्कलंक का परिचय दीजिए।
उत्तर : निष्कलंक एक न्यायाधीश था, जिसने जीवनभर न्याय और निष्पक्षता का साथ देने का दावा किया।
लघूत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न - 1. धर्मराज ने हितकारीलाल से क्या कहा?
उत्तर : धर्मराज ने कहा कि यदि वह वास्तव में जनता के हितकारी होते, तो पृथ्वी पर अव्यवस्था और भ्रष्टाचार न फैलता।
प्रश्न - 2. नेताजी ने अपने बचाव में क्या तर्क दिए?
उत्तर : नेताजी ने कहा कि उन्होंने लोगों के हित में काम किया, जनता की सेवा की और समाज का उत्थान किया, इसलिए वे स्वर्ग के अधिकारी हैं।
प्रश्न - 3. इंजीनियर को चित्रगुप्त ने क्या कहा?
उत्तर : चित्रगुप्त ने कहा कि उसने बड़े-बड़े निर्माण कार्य किए, लेकिन उसके कारण अनेक प्राकृतिक असंतुलन और समस्याएँ भी उत्पन्न हुईं।
प्रश्न - 4. धर्मराज ने जीवनदेव से क्या कहा?
उत्तर : धर्मराज ने कहा कि यद्यपि वह रोगियों का जीवन बचाता था, लेकिन लालच और स्वार्थ के कारण उसका आचरण आदर्श नहीं रहा।
प्रश्न - 5. धर्मराज ने निष्कलंक से क्या कहा?
उत्तर : धर्मराज ने कहा कि पृथ्वी पर उसका स्थान वैसा ही था जैसा यमपुरी में धर्मराज का है। उसे दूध का दूध और पानी का पानी करना चाहिए था।
दीर्घउत्तरीय प्रश्न -
प्रश्न - 1. बाल अदालत के गठन की पृष्ठभूमि का वर्णन कीजिए।
उत्तर : गर्मियों की छुट्टियों में बच्चे कॉलोनी में शोर-शराबा और उधम मचाते थे। शिक्षक आनंद प्रकाश ने सोचा कि बच्चों की ऊर्जा को अच्छे कार्यों में लगाया जाए। उन्होंने माता-पिता को समझाकर नाट्यशाला शुरू की। कॉलोनी के सेठ ने कमरे उपलब्ध कराए। आनंद प्रकाश ने रोचक नाटक लिखकर बच्चों से अभ्यास कराया और साप्ताहिक मंचन शुरू किया। इन्हीं नाटकों की श्रृंखला में “बाल अदालत” का मंचन हुआ।
प्रश्न - 2. बाल अदालत को क्षेत्र में मिली सुविधाओं और सफलताओं के विषय में आप क्या जानते हैं?
उत्तर : बच्चों द्वारा किए गए नाटक कॉलोनीवासियों को बहुत पसंद आए। नगर में उनकी चर्चा होने लगी। कई क्षेत्रों से उन्हें बुलावा आने लगा। इस कार्य के लिए उन्हें स्थान, माता-पिता का सहयोग और समाज का प्रोत्साहन मिला। इस प्रकार बाल अदालत को सफलता और लोकप्रियता दोनों प्राप्त हुईं।
प्रश्न - 3. निर्माणदेव ने अपने पक्ष में क्या तर्क प्रस्तुत किए?
उत्तर : निर्माणदेव ने कहा कि उसने बहुमंजिला इमारतें बनाईं, बाँध बनाकर बिजली उत्पन्न की और सुरंगें बनाकर यातायात को सुगम किया। ये सभी कार्य उसने मानव उत्थान के लिए किए, इसलिए वह स्वर्ग का अधिकारी है।
प्रश्न - 4. धर्मराज ने निष्कलंक के पद के विषय में क्या टिप्पणी की तथा वह कहाँ तक उचित प्रतीत होती है?
उत्तर : धर्मराज ने कहा कि पृथ्वी पर निष्कलंक का स्थान वैसा ही था जैसा यमपुरी में धर्मराज का है। न्यायाधीश का कार्य दोषी को दंड और निर्दोष को अभयदान देना होता है। यदि वह अपने पद का दुरुपयोग करता है तो समाज में अन्याय फैलता है। यह टिप्पणी उचित है क्योंकि न्यायाधीश का पद अत्यंत गरिमामय और जिम्मेदार होता है।
प्रश्न - 5. हितकारीलाल ने अपने पक्ष में क्या तर्क दिए?
उत्तर : हितकारीलाल (नेता) ने कहा कि उसने समाज का उत्थान किया, जनता की सेवा की और अनेक कल्याणकारी कार्य किए। उसके अनुसार वह सच्चा जनसेवक था और इसलिए स्वर्ग का अधिकारी है।