प्रश्न - 1. वृक्ष और सरोवर से मनुष्य को क्या सीख लेनी चाहिए?
उत्तर : वृक्ष और सरोवर से मनुष्य को परोपकार की सीख लेनी चाहिए कि जैसे वृक्ष स्वयं फल नहीं खाता और सरोवर स्वयं जल नहीं पीता, वैसे ही सज्जन अपने संसाधन दूसरों के हित में लगाते हैं।
प्रश्न - 2. रहीम के अनुसार 'हीरे' से मनुष्य को क्या सीख लेनी चाहिए?
उत्तर : हीरे से मनुष्य को सीख मिलती है कि श्रेष्ठ व्यक्ति अपनी प्रशंसा स्वयं नहीं करते, बल्कि उनका मूल्य और सम्मान उनके गुणों के कारण लोग स्वयं करते हैं।
लघूत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न - 1. रावण के पड़ोस में बसने पर किसकी महिमा घटी?
उत्तर : समुद्र की महिमा घटी, क्योंकि रावण जैसे दुष्ट के पड़ोस में रहने से उसका महत्व कम हो गया।
प्रश्न - 2. कुसंगति का किस प्रकार प्रभाव नहीं पड़ता ?
उत्तर : उत्तम स्वभाव वाले व्यक्ति पर कुसंगति का प्रभाव नहीं पड़ता। जैसे चंदन पर सर्प लिपटा रहता है, फिर भी विष चंदन को नहीं छूता।
दीर्घउत्तरीय प्रश्न -
प्रश्न - 1. प्रत्येक वस्तु का अपना महत्व है। कैसे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : रहीम के अनुसार संसार में प्रत्येक वस्तु का अपना महत्व होता है। बड़ी वस्तुएँ बड़ी लग सकती हैं, परंतु छोटी वस्तुएँ भी उपयोगी होती हैं। उदाहरण के लिए, जहाँ कार्य सुई से बन सकता है, वहाँ तलवार काम नहीं आती। इसी प्रकार हीरा बोलता नहीं, परंतु उसका मूल्य लाखों में आँका जाता है। इससे स्पष्ट होता है कि किसी भी वस्तु को छोटा या व्यर्थ नहीं समझना चाहिए। हर वस्तु समय और परिस्थिति के अनुसार मूल्यवान होती है।
प्रश्न - 2. कुसंगति दुखदायी होती है। किस प्रकार? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : रहीम कहते हैं कि बुरी संगति से मनुष्य का जीवन दुखी हो जाता है। कुसंगति मनुष्य के मन को सोख लेती है, जैसे रावण की संगति ने समुद्र की महिमा घटा दी। बुरी संगति मनुष्य को उसके सच्चे मार्ग से भटका देती है और अंत में पतन की ओर ले जाती है। इसलिए कहा गया है कि सद्गुणी व्यक्ति की संगति ही सुखदायी होती है।