Solutions For Class 8 Hindi


St. John's Public School in Beliaghata, Kolkata, is a well-known educational institution that offers a blend of academic excellence and holistic development. call 9231828490.

Solutions For Class 8 Hindi 2025-26

Teacher Amrendra Singh Call @ 8967311377

अध्याय 8. चरित्र और संयम (जीवन परिचय)

अति लघूत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न - 1. चरित्र से आप क्या समझते हैं?

उत्तर : चरित्र मनुष्य के सद्गुणों, सदाचार, सत्य, अहिंसा, नम्रता और पवित्र जीवन का प्रतीक है। यह वही शक्ति है जो कठिन समय में मनुष्य को संभालती है।

प्रश्न - 2. संयम से क्या अभिप्राय है?

उत्तर : इंद्रियों पर नियंत्रण रखना, अनुशासनपूर्वक रहना और जीवन में आत्मसंयम का पालन करना ही संयम है।

प्रश्न - 3.'चरित्र और संयम' इस व्याख्यान के माध्यम से गाँधी जी क्या कहना चाहते हैं?

उत्तर : गांधी जी कहना चाहते हैं कि मनुष्य की उन्नति धन या बुद्धि से नहीं, बल्कि चरित्र और संयम से होती है। चरित्रवान और संयमी व्यक्ति ही समाज व राष्ट्र के लिए उपयोगी सिद्ध होता है।

प्रश्न - 4. सच्ची शिक्षा क्या है?

उत्तर : विचार करने की कला ही सच्ची शिक्षा है।

प्रश्न - 5. सच्ची शिक्षा का क्या प्रभाव होता है?

उत्तर : सच्ची शिक्षा से समाजोपयोगी विचार विकसित होते हैं और व्यक्ति व समाज दोनों का कल्याण होता है।

लघूत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न - 1. यदि हम अपने चरित्र को बलवान नहीं कर पाते तो उसका क्या परिणाम होगा?

उत्तर : यदि हमारा चरित्र बलवान नहीं होगा तो हमारी सारी विद्या, ज्ञान और अभ्यास व्यर्थ हो जाएगा। बिना चरित्र के ज्ञान बुराइयों की जड़ बन जाता है।

प्रश्न - 2. मनुष्य अपने मन के भीतर के दरवाजों से क्या देखता है?

उत्तर : एक दरवाजे से मनुष्य देखता है कि वह स्वयं कैसा है और दूसरे दरवाजे से यह कि उसे कैसा होना चाहिए।

प्रश्न - 3. इंद्रियों को निरंकुश छोड़ देने से क्या परिणाम होता है?

उत्तर : इंद्रियों को निरंकुश छोड़ देने वाला व्यक्ति कर्णधारहीन नाव के समान होता है, जो चट्टान से टकराकर नष्ट हो जाती है।

दीर्घउत्तरीय प्रश्न -

प्रश्न - 1. नम्रता के विषय में गांधी जी ने क्या विचार प्रकट किए हैं?

उत्तर : गांधी जी ने कहा है कि नम्रता अभ्यास से नहीं, बल्कि स्वभाव से आती है। यदि कोई व्यक्ति बाहर से प्रणाम करता हो पर मन में तिरस्कार भरा हो, तो यह नम्रता नहीं बल्कि धूर्तता है। नम्र मनुष्य को स्वयं भी पता नहीं चलता कि वह कब नम्र हो रहा है। यह चरित्र का विशेष गुण है और इसे दिखावे से नहीं अपनाया जा सकता।

प्रश्न - 2. कठिन अवसरों पर बुद्धि नहीं चरित्र ही सहायक होता है, कैसे? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : कठिन अवसरों पर केवल बुद्धि काम नहीं आती, बल्कि मनुष्य का दृढ़ चरित्र ही उसे संभालता है। बुद्धि तर्क और उपाय बता सकती है, परंतु संकट में टिके रहने की शक्ति चरित्र से ही मिलती है। चरित्रवान व्यक्ति हर परिस्थिति में साहस और सत्य का पालन करता है और वही उसे आगे बढ़ाता है।

प्रश्न - 3. अंततः मनुष्य का हृदय ही उसे आगे ले जा सकता है? समुचित दृष्टांत देकर इस कथन को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : गांधी जी का मानना है कि केवल बुद्धि से नहीं, मनुष्य का हृदय ही उसे सच्चे मार्ग पर आगे बढ़ाता है। हृदय में यदि सदाचार, सत्य, करुणा और त्याग की भावना हो तो मनुष्य हर कठिनाई में विजयी होता है। जैसे बिना आत्मत्याग और पवित्र हृदय के मनुष्य समाज की सेवा नहीं कर सकता। हृदय की पवित्रता ही जीवन में वास्तविक उन्नति का आधार है।

St. John’s Public School Beliaghata

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