उत्तर : कवि अँधेरे को मानसिक और आत्मिक अज्ञान, भ्रम और निराशा के रूप में देखता है, जिसे केवल ज्ञान और आत्म-प्रकाश से दूर किया जा सकता है।
प्रश्न - 2. कवि प्रकाश को किस रूप में चाहता है?
उत्तर : कवि प्रकाश को आत्मज्ञान, सत्य और मानसिक शांति के रूप में चाहता है, जो अंधकार और अज्ञान को दूर करके जीवन में उजाला और दिशा प्रदान करे।
लघूत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न - 1.'मन का अँधेरा' से कवि का क्या तात्पर्य है?
उत्तर : 'मन का अँधेरा' से कवि का तात्पर्य है मानसिक अज्ञान, भ्रम, निराशा और आत्मिक उलझन से। यह वह स्थिति है जब व्यक्ति अपनी सच्चाई से अनजान होता है और जीवन में मार्गदर्शन की आवश्यकता महसूस करता है।
प्रश्न - 2. कवि ने दिये से मन का अँधेरा न मिटने की बात क्यों कही है?
उत्तर : कवि ने दिये से मन का अँधेरा न मिटने की बात इसलिए कही है क्योंकि बाहरी प्रकाश केवल शारीरिक अंधकार को दूर करता है। मन का अँधेरा, जो मानसिक और आत्मिक उलझनों का परिणाम है, केवल आत्मज्ञान और आंतरिक विकास से ही मिट सकता है।
दीर्घउत्तरीय प्रश्न -
प्रश्न - 1. शांति के लिए सृजन की आवश्यकता क्यों बताई गई है?
उत्तर : शांति के लिए सृजन की आवश्यकता इस कारण बताई गई है क्योंकि सृजन से मानसिक संतुलन, सकारात्मकता और नई दिशा मिलती है। यह व्यक्ति को अपने आंतरिक संघर्षों से उबारकर समर्पण, प्रेम और संतोष की ओर मार्गदर्शित करता है।
प्रश्न - 2. 'रोशनी' से कवि का क्या अभिप्राय है? इसकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर : कवि के लिए 'रोशनी' का अभिप्राय आत्मज्ञान, सच्चाई, और मानसिक शांति से है। इसकी विशेषताएँ हैं—यह अज्ञान और भ्रम को दूर करती है, मार्गदर्शन देती है, जीवन में सकारात्मकता और उद्देश्य की भावना उत्पन्न करती है।