प्रश्न - 1. कर्तव्यपरायण व्यक्ति के चरित्र में क्या विशेषता पाई जाती है?
उत्तर : कर्तव्यपरायण व्यक्ति के चरित्र में निष्ठा, ईमानदारी, जिम्मेदारी, संयम, स्वार्थहीनता और समाज के प्रति प्रतिबद्धता की विशेषताएँ पाई जाती हैं।
प्रश्न - 2. साहसी व्यक्ति के लिए स्वार्थ-त्याग क्यों आवश्यक है?
उत्तर : साहसी व्यक्ति के लिए स्वार्थ-त्याग आवश्यक है, क्योंकि यह उसे समाज सेवा, उच्च उद्देश्य और निःस्वार्थ कर्तव्यों की ओर प्रेरित करता है।
प्रश्न - 3. बुद्धन सिंह द्वारा सत्साहस का कौन-सा कार्य किया गया?
उत्तर : बुद्धन सिंह ने सत्साहस का कार्य करते हुए समाज में व्याप्त कुरीतियों और अंधविश्वास के खिलाफ आवाज उठाई और सुधार की दिशा में कदम बढ़ाए।
लघूत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न - 1. लेखक के अनुसार साहस की कौन-कौन सी श्रेणियाँ हैं?
उत्तर : लेखक के अनुसार साहस की तीन श्रेणियाँ हैं: शारीरिक साहस, मानसिक साहस, और आध्यात्मिक साहस, जो विभिन्न परिस्थितियों में व्यक्त होते हैं।
प्रश्न - 2. सत्साहस से आप क्या समझते हैं?
उत्तर : सत्साहस का मतलब है सत्य और धर्म के रास्ते पर चलने का साहस, जो समाज में सकारात्मक बदलाव लाता है।
प्रश्न - 3. सत्साहसी व्यक्ति में क्या विशेषता पाई जाती है?
उत्तर : सत्साहसी व्यक्ति में सत्य, नैतिकता, और धर्म के प्रति गहरी निष्ठा होती है। वह समाज सुधार, स्वार्थ का त्याग, और आध्यात्मिक मार्ग पर चलते हुए सकारात्मक बदलाव लाता है।
प्रश्न - 4. साहसी व्यक्ति में कौन-कौन-से गुण पाए जाते हैं?
उत्तर : साहसी व्यक्ति में धैर्य, आत्मविश्वास, निष्ठा, ईमानदारी, दया, और स्वार्थ-त्याग जैसे गुण होते हैं। वह कठिन परिस्थितियों में भी सही निर्णय लेता है और समाज के हित में काम करता है।
दीर्घउत्तरीय प्रश्न -
प्रश्न - 1. कर्तव्यज्ञान शून्य मनुष्य को मनुष्य नहीं पशु समझना चाहिए। क्यों? सोदहारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : कर्तव्यज्ञान शून्य मनुष्य स्वार्थ, हिंसा और अज्ञान के आधार पर जीवन जीता है, जैसे पशु। उदाहरण स्वरूप, बिना कर्तव्य निभाए केवल स्वार्थ के लिए जीने वाला व्यक्ति समाज में असमाजिक होता है।
प्रश्न - 2. 'बिनी किसी प्रकार का साहस दिखाए किसी जाति या देश का इतिहास नहीं बन सकता' यह कथन कहाँ तक उचित है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : यह कथन उचित है, क्योंकि किसी जाति या देश का इतिहास साहसिक कार्यों और संघर्षों से ही बनता है। बिना साहस के, न तो परिवर्तन संभव है, न ही उन्नति।