उत्तर : दीपू ने कुत्ते का नाम " हैप्पी " रखा। वह कुत्ते को अपनी मित्रता और जिम्मेदारी के रूप में मानता था
प्रश्न - 2. दीपू का कुत्ता कैसा था?
उत्तर : दीपू का कुत्ता हैप्पी चितकबरा बहुत वफादार, खुशमिजाज और चंचल था। वह हमेशा दीपू के साथ खेलता और उसकी मदद करता, जिससे दीपू को अपने कुत्ते से गहरा स्नेह था।
प्रश्न - 3. कुत्ते का रंग कैसा था?
उत्तर : दीपू के कुत्ते का रंग चितकबरा था |
लघूत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न - 1. दीपू ने हैप्पी को क्या-क्या सिखाया था?
उत्तर : दीपू ने हैप्पी को कई चीज़ें सिखाईं थीं। उसने हैप्पी को तेज दौड़ना, ऊपर उछलना, फेंकी गई वस्तु उठाकर लाना, व्यक्ति व वस्तुओं की पहचान करना आदि सिखाया था।
प्रश्न - 2. दीपू ने स्कूल से आकर क्या देखा?
उत्तर : दीपू स्कूल से वापस आया तो देखा कि घोंसला टूटा पड़ा था। तिनके जमीन पर बिखरे पड़े थे और नर व मादा चिड़ियाँ चीं-चीं करके दुखी हो रही थीं।
प्रश्न - 3. दीपू ने घोंसला किस प्रकार बनाया?
उत्तर : दीपू ने घोंसला बनाने के लिए बाग में जाकर सूखे तिनके एकत्र किए, कुछ टहनियाँ लाया। बेकार पड़े तार से घोंसले का एक साँचा बनाया। फिर उसमें आड़े-तिरछे करके तिनके लगाए। जैसे-तैसे घोंसला बनकर तैयार हुआ। इसके बाद उसने घोंसले के भीतर रुई लटन की मुलायम परतें बिछा दीं। इन सभी चीजों से उसने एक मजबूत और आरामदायक घोंसला बनाया।
दीर्घउत्तरीय प्रश्न -
प्रश्न - 1. घोंसला बनाने की दीपू की सारी मेहनत किस प्रकार व्यर्थ गई?
उत्तर : दीपू की सारी मेहनत व्यर्थ गई जब शाम को चिड़िया और चिड़ा आए। उन्होंने अपनी चोंच से घोंसले का एक-एक तिनका निकालकर फेंक डाला।
प्रश्न - 2. अंत में चिड़ियों द्वारा अपना घोंसला स्वयं बनाने पर दीपू की समझ में क्या आया?
उत्तर : अंत में चिड़ियों द्वारा अपना घोंसला स्वयं बनाने पर दीपू की समझ में आया कि हमें अपने काम खुद करने चाहिए और दूसरों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। इसने उसे स्वावलंबन और आत्मनिर्भरता का महत्व समझाया।