उत्तर : व्यक्ति लोभ, मोह, अहंकार, क्रोध, ईर्ष्या, अज्ञान, संगति, भय, लालच और स्वार्थ के कारण पथ से जाता है?
प्रश्न - 2. पाठ में दिए गए चूहे के उदाहरण से क्या सीख मिलती है?
उत्तर : चूहे के उदाहरण से सीख मिलती है कि स्वार्थ और तात्कालिक लाभ के पीछे भागना अंत में नुकसानदायक होता है।
प्रश्न - 3. पाठ में दिए गए मक्खी के उदाहरण से क्या सीख मिलती है?
उत्तर : पाठ में दिए गए मक्खी से सीख मिलती है कि बुरी संगति व्यक्ति को अपमान और पतन की ओर ले जाती है।
प्रश्न - 4. कुकर्मी को क्या गँवाना पड़ता है?
उत्तर : कुकर्मी को अपना सम्मान, शांति, विश्वास, अच्छे संबंध, समाज में स्थान और अंततः अपना जीवन तक गँवाना पड़ता है।
लघूत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न - 1. दुष्कर्मों और दुर्व्यसनों के आकर्षण का क्या प्रभाव होता है?
उत्तर : दुष्कर्मों और दुर्व्यसनों के आकर्षण का प्रभाव व्यक्ति के मानसिक, शारीरिक और सामाजिक जीवन पर नकारात्मक होता है। इससे आत्म-सम्मान, संबंध, स्वास्थ्य और जीवन की दिशा बुरी तरह प्रभावित होती है।
प्रश्न - 2. अदूरदर्शी लोगों के सूक्ष्म चिंतन का अपहरण कौन कर लेता है?
उत्तर : अदूरदर्शी लोगों के सूक्ष्म चिंतन का अपहरण उनका स्वार्थ, लोभ और तात्कालिक सुख कर लेता है, जो उन्हें दीर्घकालिक परिणामों और सही निर्णयों से दूर कर देता है।
प्रश्न - 3. कुकर्मी का अपनी बुद्धिमत्ता के विषय में क्या विचार होता है?
उत्तर : कुकर्मी अपनी बुद्धिमत्ता को अत्यधिक मानते हैं और उसे अपने गलत कार्यों को छिपाने के लिए उपयोग करते हैं, जबकि असल में उनकी बुद्धिमत्ता गलत रास्ते पर ले जाती है।
प्रश्न - 4. वे कौन-से दंड हैं जिन्हें तिलमिलाने वाली पीड़ा के बिना सहन नहीं किया जा सकता ?
उत्तर : वे दंड जो तिलमिलाने वाली पीड़ा के बिना सहन नहीं किए जा सकते, वे मानसिक, शारीरिक या सामाजिक अपमान होते हैं। जैसे आत्मग्लानि, घोर कष्ट, अपमान या समाज से बहिष्कार। ये व्यक्ति को गहरे आंतरिक दुःख और मानसिक तनाव में डाल देते हैं।
दीर्घउत्तरीय प्रश्न -
प्रश्न - 1. पापकर्मों की क्या विशेषता है?
उत्तर : पापकर्मों की विशेषता यह है कि ये तात्कालिक सुख, लाभ या संतोष प्रदान करते हैं, लेकिन लंबे समय में व्यक्ति को मानसिक तनाव, पछतावा, आत्मग्लानि और सामाजिक अपमान का सामना करना पड़ता है। इनसे जीवन में विध्वंस, रिश्तों में दरार और आत्मिक शांति की हानि होती
प्रश्न - 2. आतुर लोग पापकर्म में लिप्त हुए क्या करते हैं?
उत्तर : आतुर लोग पापकर्म में लिप्त होते समय तात्कालिक लाभ या संतोष के लिए अपने नज़रिए और नैतिकता को नजरअंदाज़ कर देते हैं। वे जल्दबाजी में निर्णय लेते हैं, बिना इसके परिणामों को समझे। इस प्रक्रिया में वे अपने आत्म-सम्मान, रिश्तों और भविष्य को खतरे में डाल देते हैं।
प्रश्न - 3. अनीति से अर्जित धन, संपत्ति अपना क्या कुप्रभाव छोड़ते हैं?
उत्तर : अनीति से अर्जित धन और संपत्ति व्यक्ति के जीवन में नकारात्मक कुप्रभाव छोड़ते हैं। यह मानसिक तनाव, अपराधबोध और आत्मग्लानि का कारण बनते हैं। इसके अलावा, यह व्यक्ति को समाज में तिरस्कार और अपमान का सामना कराता है, साथ ही दीर्घकालिक शांति और संतोष को नष्ट करता है।
प्रश्न - 4. समाज को त्रास देने वाले लोगों की क्या विचारधारा बन जाती है और उन्हें किस विरोध का सामना करना होता है?
उत्तर : समाज को त्रास देने वाले लोग अपनी स्वार्थी और भ्रष्ट विचारधारा अपनाते हैं, जिसमें दूसरों की पीड़ा से व्यक्तिगत लाभ लेना प्रमुख होता है। उन्हें समाज का विरोध, तिरस्कार और कानूनी दंड का सामना करना पड़ता है, क्योंकि उनके कृत्य समाज के नैतिक और सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाते हैं।