Solutions For Class 8 Hindi


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Solutions For Class 8 Hindi 2025-26

Teacher Amrendra Singh Call @ 8967311377

अध्याय 1. समर्पण (कविता)

अति लघूत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न - 1 मातृभूमि को सर्वस्व समर्पण से भी कवि संतुष्ट नहीं है। क्यों?

उत्तर : कवि मातृभूमि को सर्वस्व समर्पण के बाद भी संतुष्ट नहीं है क्योंकि उसका प्रेम इतना गहरा है कि वह बार-बार जन्म लेकर मातृभूमि की सेवा करना चाहता है।

प्रश्न - 2. कवि के अनुसार, 'माँ तुम्हारा ऋण बहुत है।' इससे क्या अभिप्राय है?

उत्तर : कवि के अनुसार, "माँ तुम्हारा ऋण बहुत है" का अभिप्राय है कि मातृभूमि ने हमें जीवन, संस्कार और पहचान दी है, जिसका ऋण चुकाना संभव नहीं है।

प्रश्न - 3 हम देश की धरती को माँ क्यों कहते हैं?

उत्तर : हम देश की धरती को माँ इसलिए कहते हैं क्योंकि वह हमें अन्न, जल, वायु और जीवन देती है। जैसे माँ पालती है, वैसे ही धरती हमारा पालन-पोषण करती है।

प्रश्न - 4 थाल में भाल सजाने से कवि का क्या अभिप्राय है?

उत्तर : "थाल में भाल सजाने" से कवि का अभिप्राय है कि वह अपने शीश (सिर) को सम्मानपूर्वक मातृभूमि के चरणों में अर्पित करना चाहता है, जैसे पूजा में थाल सजाई जाती है।

लघूत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न - 1. कवि मातृभूमि के ऋण से किस प्रकार उऋण होने को उद्यत है?

उत्तर : कवि मातृभूमि के ऋण से उऋण होने के लिए अपने प्राण, तन-मन, और जीवन का प्रत्येक क्षण अर्पित करने को तैयार है। वह बार-बार जन्म लेकर भी मातृभूमि की सेवा करना चाहता है और उसे पूज्य मानता है।

प्रश्न - 2. सेवा करने वाला पुत्र अपना सब कुछ देकर भी स्वयं को अकिंचन क्यों मानता है?

उत्तर : सेवा करने वाला पुत्र अपना सब कुछ मातृभूमि को समर्पित कर देने के बाद भी स्वयं को अकिंचन इसलिए मानता है क्योंकि वह जानता है कि माँ का ऋण अमूल्य है, जिसे पूर्णतः चुकाना संभव नहीं है।

प्रश्न - 3. गान, प्राण, स्वप्न, प्रश्न तथा क्षण-क्षण के अर्पण से आप क्या समझते हैं?

उत्तर : गान, प्राण, स्वप्न, प्रश्न तथा क्षण-क्षण के अर्पण से यह समझ आता है कि कवि मातृभूमि को अपने संपूर्ण अस्तित्व सहित समर्पित है। वह अपने गीत, जीवन, सपनों, जिज्ञासाओं और हर पल को माँ के चरणों में अर्पित करता है।

प्रश्न - 4. क्या भाल के समर्पण से भी बड़ा कोई समर्पण है?

उत्तर : हाँ, भाल (सिर) के समर्पण से भी बड़ा समर्पण मन, आत्मा और जीवन के हर भाव का समर्पण है। जब कोई व्यक्ति केवल शरीर ही नहीं, बल्कि अपने विचार, भावना और अस्तित्व को समर्पित करता है, वह सर्वोच्च समर्पण होता है।

दीर्घउत्तरीय प्रश्न -

प्रश्न - 1. देश सेवा में मोह का बंधन तोड़ना पड़ता है। प्रस्तुत कविता में किस-किस वस्तु से नाता तोड़ने की बात कही गई है?

उत्तर : प्रस्तुत कविता में देश सेवा के लिए कवि ने ममता, मोह, आराम, सुख-सुविधा, स्वप्न, प्रियजनों, अपनेपन और स्वार्थ जैसी वस्तुओं और भावनाओं से नाता तोड़ने की बात कही है। वह मातृभूमि की सेवा को सर्वोपरि मानते हुए अपने जीवन के सभी मोह बंधनों को त्यागने को तैयार है।

प्रश्न - 2. भावार्थ लिखिए : (अ) माँ तुम्हारा ऋण बहुत है, मैं अकिंचन किंतु इतना कर रहा, फिर भी निवेदन -थाल में लाऊँ सजाकर भाल जब भी, कर दया स्वीकार लेना यह समर्पण। गान अर्पित, प्राण अर्पित, रक्त का कण-कण समर्पित ।

उत्तर : कवि अपनी मातृभूमि को अत्यधिक ऋणी मानता है और यह स्वीकार करता है कि वह किसी भी रूप में इस ऋण को पूरा नहीं कर सकता। फिर भी, वह अपनी पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ अपनी मातृभूमि की सेवा में अपने प्राण, गान (गीत), रक्त और जीवन के हर अंश को अर्पित करने को तत्पर है। कवि थाल में भाल सजाकर अपनी श्रद्धा व्यक्त करता है, जिससे उसकी पूरी आस्था और समर्पण व्यक्त होता है। वह माँ (मातृभूमि) से निवेदन करता है कि उसका यह समर्पण स्वीकार कर लिया जाए।

प्रश्न - भावार्थ लिखिए (ब) माँज दो तलवार को, लगाओ न देरी, बाँध दो कसकर, कमर पर ढाल मेरी, भाल पर मल दो चरण की धूल थोड़ी, शीश पर आशीष की छाया घनेरी। स्वप्न अर्पित, प्रश्न अर्पित आयु का क्षण-क्षण समर्पित चाहता हूँ देश की धरती, तुझे कुछ और भी दूँ।

उत्तर : कवि अपनी मातृभूमि के प्रति अपनी श्रद्धा और समर्पण व्यक्त करते हुए कहता है कि उसे तलवार को माँजकर तैयार किया जाए और ढाल को कमर पर बांध दिया जाए ताकि वह देश की रक्षा के लिए तैयार हो सके। वह माँ के चरणों की धूल अपने भाल पर लगाने की इच्छा रखता है, ताकि उसे मातृभूमि का आशीर्वाद मिले। कवि अपने सपनों, प्रश्नों, और जीवन के प्रत्येक क्षण को मातृभूमि को समर्पित करता है। वह चाहता है कि देश की सेवा में वह और अधिक दे सके और अपनी मातृभूमि को हर रूप में समर्पित कर सके।

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