Solutions For Class 6 Hindi


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Solutions For Class 6 Hindi 2025-26

Teacher Amrendra Singh Call @ 8967311377

अध्याय 1 इतने ऊँचे उठो

अति लघूत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न - 1. कवि किस स्थिति से उठने को कह रहा है?

उत्तर : कविता "इतने ऊँचे उठो" में कवि व्यक्ति को नकारात्मकता, निराशा और हीन भावना की स्थिति से उठने के लिए कह रहा है।

प्रश्न - 2. हमें युद्धों की आग में जलाने के मुख्य कारण क्या रहे हैं?

उत्तर : कविता "इतने ऊँचे उठो" में कवि युद्धों की आग में जलने के मुख्य कारणों के रूप में मनुष्य की स्वार्थ, अहंकार, और सत्ता की लालच को दर्शाता है। इन कारणों से मानवता का पतन होता है और युद्धों के माध्यम से विनाश और रक्तपात फैलता है।

प्रश्न - 3. किस बात का निरंतर चिंतन करना है?

उत्तर : कविता "इतने ऊँचे उठो" में कवि यह कहता है कि हमें निरंतर आत्म-उद्धार और मानवता के सर्वोत्तम आदर्शों का चिंतन करना चाहिए। हमें अपने भीतर की अच्छाई, उच्च विचार और सकारात्मक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करना चाहिए, ताकि हम जीवन में ऊँचा उठ सकें और सही मार्ग पर चल सकें।

प्रश्न - 4. जीवन की सच्चाई क्या है?

उत्तर : कविता "इतने ऊँचे उठो" में जीवन की सच्चाई यह है कि जीवन संघर्ष, कठिनाइयों और नकारात्मकताओं से भरा होता है। इसके बावजूद, व्यक्ति को आत्मविश्वास, साहस और उच्च आदर्शों के साथ इन चुनौतियों का सामना करना चाहिए और अपने भीतर की शक्ति से जीवन को ऊँचा उठाना चाहिए।

लघूत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न - 1. हमें समाज में किस भेद-भाव को मिटाना है?

उत्तर : कविता "इतने ऊँचे उठो" में कवि समाज में जातिवाद, धर्म, रंग और अन्य सामाजिक भेदभाव को मिटाने की बात करता है। हमें सभी मानवों को समान सम्मान और अवसर देना चाहिए, ताकि समाज में समानता, भाईचारा और एकता स्थापित हो सके और हर व्यक्ति को अपना स्थान मिल सके।

प्रश्न - 2. मलय पवन से क्या सीख लेनी चाहिए?

उत्तर : कविता "इतने ऊँचे उठो" में मलय पवन (दक्षिणी हवा) से यह सीखने को मिलता है कि हमें निरंतर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना चाहिए, बिना किसी बाधा के। यह हमें अपनी कठिनाइयों और अवरोधों के बावजूद निरंतर प्रयास करने और सकारात्मक बदलाव लाने की प्रेरणा देता है।

प्रश्न - 3. 'इतने ऊँचे उठो कि जितना उठा गगन है' में ऊँचा उठने का क्या अर्थ है?

उत्तर : "इतने ऊँचे उठो कि जितना उठा गगन है" में ऊँचा उठने का अर्थ है, व्यक्ति को अपने मानसिक और आत्मिक स्तर पर उच्चतम आदर्शों और उद्देश्य की ओर बढ़ना चाहिए। यह आत्म-विश्वास, साहस, और नकारात्मकता से ऊपर उठने की प्रेरणा देता है, ताकि जीवन में सफलता और शांति प्राप्त हो सके।

प्रश्न - 4. शीतलता, मौलिकता, गतिशीलता एवं सुंदरता की प्रेरणा किस-किस से मिलती है?

उत्तर : कविता "इतने ऊँचे उठो" में शीतलता, मौलिकता, गतिशीलता और सुंदरता की प्रेरणा प्रकृति से मिलती है। विशेष रूप से, मलय पवन (दक्षिणी हवा), नदियाँ, और आकाश जैसे तत्व हमें जीवन में संतुलन, नवीनता, निरंतरता और सौंदर्य की ओर प्रेरित करते हैं। ये प्राकृतिक तत्व हमें उच्च आदर्शों की ओर मार्गदर्शन करते हैं।

प्रश्न - 5. कुरीतियाँ नष्ट हो जाने पर यह धरती कैसी बन सकेगी?

उत्तर : कविता "इतने ऊँचे उठो" में कवि ने कहा है कि यदि समाज में व्याप्त कुरीतियाँ नष्ट हो जाएं, तो यह धरती एक सुंदर, शांतिपूर्ण और समरस समाज का रूप धारण कर सकेगी। यहाँ सभी लोग समानता, भाईचारे और शांति से रह सकेंगे, और जीवन में सच्ची उन्नति होगी।

प्रश्न - 6. इस धरती को स्वर्ग बनाने से क्या तात्पर्य है?

उत्तर : "इस धरती को स्वर्ग बनाने" से तात्पर्य है कि समाज में सभी प्रकार की कुरीतियाँ, भेदभाव और नफरत को समाप्त कर, एक आदर्श और समतामूलक समाज की स्थापना की जाए। जहाँ शांति, समानता, भाईचारे और प्रेम का शासन हो, और सभी का जीवन सुखमय और संतुष्ट हो।

प्रश्न - 7. 'अगर कहीं हो स्वर्ग', इस वाक्यांश का क्या तात्पर्य है?

उत्तर : "अगर कहीं हो स्वर्ग" का तात्पर्य है कि स्वर्ग केवल कल्पना या परिकल्पना में नहीं, बल्कि इसे इस धरती पर ही बनाया जा सकता है। स्वर्ग वह स्थिति है जहाँ लोग शांति, भाईचारे, समानता और प्रेम से रहते हैं, और यह समाज की अच्छाईयों में ही संभव है।

दीर्घउत्तरीय प्रश्न -

प्रश्न - निम्नलिखित का सप्रसंग भावार्थ लिखिए - 1. इतने ऊँचे उठो कि जितना उठा गगन है। देखो इस सारी दुनिया को एक दृष्टि से सिंचित करो धरा समता की भाव-वृष्टि से जाति-भेद की धर्म-वेश की काले-गोरे रंग द्वेष की ज्वालाओं से जलते जग में इतने शीतल बहो कि जितना मलय पवन है।।1।

उत्तर : भावार्थ: कवि कहता है कि हमें अपनी सोच और दृष्टिकोण को इतना ऊँचा करना चाहिए कि हम अपने जीवन को गगन की तरह विशाल और प्रेरणादायक बना सकें। हमें दुनिया को समानता और एकता की दृष्टि से देखना चाहिए, जिससे जातिवाद, धर्म, रंग, और भेदभाव जैसी सामाजिक कुरीतियाँ समाप्त हो सकें। यह समता की भाव-वृष्टि से समाज में प्रेम और शांति की स्थापना होगी। इसके अलावा, कवि ने मलय पवन (दक्षिणी हवा) का उदाहरण देते हुए यह बताया है कि हमें अपने विचारों और कार्यों में शीतलता और शांति की भावना बनाए रखनी चाहिए, ताकि समाज में व्याप्त नफरत और जलन को कम किया जा सके और सच्चे शांति का अनुभव हो। कवि का संदेश है कि हमें अपने कर्मों और विचारों से इस धरती को स्वर्ग जैसा बना देना चाहिए, जहाँ सब लोग शांति और भाईचारे के साथ रह सकें।

प्रश्न - निम्नलिखित का सप्रसंग भावार्थ लिखिए - 2. लो अतीत परिवर्तन है। लो अतीत से उतना ही जितना पोषक है जीर्ण-शीर्ण का मोह मृत्यु का ही द्योतक है तोड़ो बंधन, रुके न चिंतन गति, जीवन का सत्य चिरंतन धारा के शाश्वत प्रवाह में इतने गतिमय बनो कि जितना परिवर्तन है।।2।।

उत्तर : भावार्थ: कवि इस अंश में हमें अतीत से मुक्त होकर भविष्य की ओर उन्मुख होने की प्रेरणा दे रहे हैं। वे कहते हैं कि अतीत का मोह छोड़ देना चाहिए क्योंकि पुराने विचार और परंपराएँ जीवन को रुकावट देती हैं। जो पुराना और जीर्ण-शीर्ण है, वह मृत्यु का प्रतीक है, क्योंकि समय के साथ बदलाव आवश्यक है। कवि का संदेश है कि हमें अपने बंधनों को तोड़कर, चिंतन को निरंतर गतिमान बनाए रखना चाहिए। जीवन का सत्य निरंतर परिवर्तन और गति में है, और यही जीवन की वास्तविकता है। जैसे नदी का प्रवाह निरंतर चलता रहता है, वैसे ही हमें भी अपने जीवन में निरंतर बदलाव और उन्नति की ओर बढ़ते रहना चाहिए। अंत में, कवि हमें यह सिखाते हैं कि हमें जीवन के प्रवाह में बहते हुए, उतने गतिमय और परिवर्तनशील बनना चाहिए जितना परिवर्तन स्वयं जीवन में है। हमें अपनी सोच और कार्यों में बदलाव लाकर, जीवन को निरंतर ऊँचाइयों की ओर बढ़ाना चाहिए।

प्रश्न - निम्नलिखित का सप्रसंग भावार्थ लिखिए - 3. चाह रहे आकर्षण है। चाह रहे हम इस धरती को स्वर्ग बनाना अगर कहीं हो स्वर्ग, उसे धरती पर लाना सूरज, चाँद, चाँदनी तारे सब हैं प्रतिपल साथ हमारे दो कुंभ को रूप सलोना इतना सुंदर बनो कि जितना आकर्षण है।।3।।

उत्तर : भावार्थ: कवि इस अंश में हमें जीवन को सुंदर और आदर्श बनाने की प्रेरणा दे रहे हैं। वे कहते हैं कि अगर कहीं स्वर्ग है, तो उसे हमें इस धरती पर लाना चाहिए। इसका तात्पर्य है कि हम अपनी सोच और कर्मों से इस धरती को एक आदर्श स्थान बना सकते हैं, जहाँ शांति, प्रेम और समानता का साम्राज्य हो। कवि यह भी कहते हैं कि सूरज, चाँद, चाँदनी और तारे हमारे साथ हमेशा होते हैं, और ये हमें मार्गदर्शन देते हैं। हमें अपनी इच्छाओं और कार्यों को उतना सुंदर और आकर्षक बनाना चाहिए जितना कि ये प्रकृति के सुंदर तत्व हैं। अंत में, कवि का संदेश यह है कि हमें अपने व्यक्तित्व और आचार-व्यवहार को इतना आकर्षक और सुंदर बनाना चाहिए कि वह दूसरों को आकर्षित करें, जैसे सूर्य और चाँद की चमक सबको आकर्षित करती है। जब हम अपने जीवन को सकारात्मक और प्रेरणादायक बनाएंगे, तो हम धरती को स्वर्ग जैसा बना सकेंगे।

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