उत्तर : पानी प्यास बुझाकर शीतलता और तृप्ति प्रदान करता है।
प्रश्न - 2. 'प्राणी वही प्राणी है' का क्या भाव है?
उत्तर : सच्चा प्राणी वही है जो सत्यनिष्ठ, करुणाशील और दूसरों की सहायता करने वाला हो।
प्रश्न - 3. 'लँगड़े को पाँव और लूले को हाथ दे' से क्या अभिप्राय है?
उत्तर : "इसका अभिप्राय है – असमर्थ और दुर्बल की सहायता करना।
प्रश्न - 4. कवि ने किस प्रकार की मृत्यु को श्रेष्ठ बताया है?
उत्तर : कवि ने वही मृत्यु श्रेष्ठ बताई है जो समाज और सत्य के कार्य में होते हुए आए।
लघूत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न - 1. तापित को स्निग्ध करे, यहाँ तापित से क्या अभिप्राय है?
उत्तर : यहाँ तापित से अभिप्राय है – दुःख और कष्ट से पीड़ित व्यक्ति।
प्रश्न - 2. कवि के अनुसार सूखे हुए अधरों को बैन किस प्रकार मिलता है?
उत्तर : जैसे पानी सूखे हुए अधरों को तृप्ति देता है, वैसे ही सच्चा प्राणी दूसरों को शांति और राहत पहुँचाता है।
प्रश्न - 3. 'लहरों के आने पर काई-सा फटे नहीं', यहाँ 'लहरों' से क्या अभिप्राय है?
उत्तर : यहाँ लहरों से अभिप्राय है – जीवन की कठिनाइयाँ और विपरीत परिस्थितियाँ।
दीर्घउत्तरीय प्रश्न -
प्रश्न - 1. सत्य और असत्य के प्रति सच्चे प्राणी में किन बातों का विद्यमान होना बताया गया है?
उत्तर : कवि के अनुसार सच्चा प्राणी वही है जो हर समय सत्य बोले और असत्य से कभी न डरे। वह परिस्थितियों से प्रभावित होकर झूठ का सहारा नहीं लेता। ऐसे व्यक्ति में दृढ़ता, निडरता और नैतिक साहस का भाव पाया जाता है।
प्रश्न - पानी और प्राणी की समानता के लिए कवि ने किन समान गुणों को दर्शाया है तथा मनुष्य को प्रेरणा देने के लिए किन प्राकृतिक वस्तुओं व घटनाओं की सहायता ली गई है?
उत्तर : कवि ने पानी और प्राणी के गुणों की तुलना की है। पानी प्यास बुझाकर सुख पहुँचाता है, वैसे ही प्राणी को दूसरों को शांति और राहत देनी चाहिए। पानी लहरों से नहीं टूटता, वैसे ही सच्चा प्राणी कठिनाइयों में भी अपने मार्ग से विचलित नहीं होता। कवि ने पानी, लहरें, अधरों की प्यास, लँगड़े को पाँव, लूले को हाथ, और फूल जैसे प्राकृतिक प्रतीकों के माध्यम से मनुष्य को प्रेरित किया है कि उसे सत्य, करुणा और साहस से जीवन जीना चाहिए।