Solutions For Class 7 Hindi


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Solutions For Class 7 Hindi 2025-26

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अध्याय 10. पृथ्वी का स्वर्ग (एकांकी)

अति लघूत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न - 1. अचल ने भिखारिन को क्या दे दिया था जिससे दुलीचंद परेशान था?

उत्तर : अचल ने भिखारिन को हरा दुशाला दे दिया था।

प्रश्न - 2. दुलीचंद ने पृथ्वी और स्वर्ग को किस प्रकार भिन्न-भिन्न बताया?

उत्तर : दुलीचंद के अनुसार स्वर्ग धन-दौलत में है और पृथ्वी दुःख-दरिद्रता से भरी है।

प्रश्न - 3.भिखारिन ने अचल को रुपए क्यों लौटा दिए थे?

उत्तर : भिखारिन ने रुपए लौटाते हुए कहा कि यह पाप है क्योंकि दुशाले के भीतर नोट छिपे हुए थे।

प्रश्न - 4. अचल ने पृथ्वी पर स्वर्ग किस रूप में माना

उत्तर : 👉 अचल ने कहा कि सच्चाई और पवित्रता ही पृथ्वी का स्वर्ग है।

लघूत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न - 1. संदूक उठाए हुए बोझेवाले की क्या मनोदशा प्रकट हो रही थी?

उत्तर : बोझेवाले की हालत बहुत थकी और दुःख भरी लग रही थी। भारी बोझ उठाने से वह हाँफ रहा था और उसे लग रहा था कि उसका सिर टूट जाएगा।

प्रश्न - 2. सेठ दुलीचंद ने संदूक में क्या भरा हुआ था?

उत्तर : संदूक में पुराने कपड़ों के बीच पाँच हजार रुपए के नोट रखे थे।

प्रश्न - 3. सेठ दुलीचंद संदूक में रखी किस वस्तु को छिपाना चाहता था?

उत्तर : वह संदूक में छिपाए गए नोटों को सबसे छिपाना चाहता था।

प्रश्न - 4. अचल ने भिखारिन को कपड़ा क्यों दे दिया?

उत्तर : अचल ने भिखारिन को कपड़ा इसलिए दे दिया क्योंकि उसका बच्चा ठंड से मर रहा था।

दीर्घउत्तरीय प्रश्न -

प्रश्न - 1. 'पाप से घृणा करो, यही तो स्वर्ग है।' प्रस्तुत पाठ के संदर्भ में इसे स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : इस पाठ में सेठ दुलीचंद स्वार्थी और धनलोलुप व्यक्ति है। वह कपड़ों के बहाने संदूक में रुपए छिपाकर रखता है। दूसरी ओर भिखारिन ईमानदार है, वह दुशाले में छिपे रुपए लौटा देती है। अचल कहता है कि पाप से घृणा करना ही सच्चा स्वर्ग है, क्योंकि ईमानदारी, दया और सच्चाई ही जीवन को श्रेष्ठ और सुखी बनाते हैं। इसलिए स्वर्ग कहीं और नहीं, बल्कि नेक विचारों और कर्मों में ही है।

प्रश्न - 2. 'पृथ्वी का स्वर्ग यहीं है केशव! इस भिखारिन में, जो अपने आप रुपए देने चली आई।' इस कथन को समझाकर लिखिए।

उत्तर : इस कथन का अर्थ है कि सच्चाई और ईमानदारी ही पृथ्वी पर स्वर्ग के समान हैं। भिखारिन अत्यंत गरीब होते हुए भी रुपए लौटा देती है। उसका यह नेक कार्य यह सिद्ध करता है कि सच्चा सुख और स्वर्ग धन में नहीं, बल्कि सच्चे और पवित्र आचरण में है। इसलिए अचल कहता है कि पृथ्वी का स्वर्ग इसी भिखारिन जैसे अच्छे और ईमानदार व्यक्तियों में है।

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Amrendra Singh Teacher

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